फतेहपुर (बाराबंकी) । रक्षाबंधन के पावन पर्व पर श्री रामजानकी मन्दिर बडा ठाकुर द्वारा में प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी मेले का आयोजन किया गया। जिसमें करीब हजारो की संख्या में श्रद्धालुओ का आना जाना जारी है। मालूम हो कि श्री राम जानकी मन्दिर बडा ठाकुर द्वारा मन्दिर परिसर में रक्षाबन्धन मेले की शुरुवात आज रविवार से हुई। मेले में सुबह मौसम खराब होने के कारण तो कुछ कम भीडभाड दिखी किन्तु दोपहर १२ बजे से स्थानीय श्रद्धालुओ का आने जाने का दौर शुरु हो गया खबर लिखे जाने तक मेले में करीब हजारो की संख्या में श्रद्धालुओ का आना जारी था। यह मेला फतेहपुर कस्बे में पचासो साल पहले से लगता है। रक्षाबन्धन के अवसर पर जन्माष्टमी के मद्देनजर इस मेले में भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना कर बहने अपने भाईयो की लम्बी आयु की दुआँ मांगती है। इस मेले में लगे झूले व भगवान श्रीकृष्ण व श्री राम जानकी जी की सोने की सजी मूर्तिया श्रद्धालुओ के आकर्षण का केन्द्र होते है।
फतेहपुर (बाराबंकी) । रक्षा बन्धन के पावन पर्व की धूम नगर क्षेत्र के साथ- साथ ग्रामीण अंचलो में भी देखने को मिली। सूरतगंज, बेलहरा, मो० पुर खाला आदि कस्बो में रक्षाबन्धन पर्व की धूम देखते ही बन रही थी।
लूम हो कि रक्षाबन्धन के पावन अवसर पर नगर के साथ - साथ ग्रामीण अंचलो की बाजारो में रौनक दिखी लोग खरीददारी में मशगूल दिखे। भाई- बहन की प्रेम की अटूट इबारत वाले इस पर्व में जहां बहनो ने अपने भाईयो की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उनकी दीद्र्यायु जीवन की कामना की। तो दूसरी ओर भाईयो ने भी अपनी बहनो के मान व स्वाभिमान के लिए आर्शीवाद रूपी सौगन्ध ली। पौराणिक कहावत है कि भगवान विष्णु ने राजा बलि के मर्दन क रने के लिए विप्र के भेष मेंं उनकी समस्त राज्य को दान स्वरूप में प्राप्त कर लिया था। किन्तुू राजा बलि के शर्तानुसार भगवान विष्णु को नित्य प्रति राजा बलि के महल में रूककर दर्शन देने की शर्त मंजूर करनी पडी। अन्तत: भगवान विष्णु राजा बलि के महल मे रूकने कें लिएं वचनबद्ध हो गए। उधर क्षीरसागर मेँ भगवान विष्णु के न रहने से माता लक्ष्मी व्याकुल हो उठी। देवऋषि नारद जी से ज्ञात हुआ कि भगवान विष्णु राजा बलि कें महल में वचनबद्ध हो निवास कर रहे है। माता लक्ष्मी को नारद जी ने युक्ति बताई कि पूर्णिमा के दिन स्वयं राजा बलि के महल जाकर उन्हे रक्षासूत्र बांधे। माता लक्ष्मी ने वैसे ही किया जैसा नारद ने बताया था। रक्षासूत्र बांधने के बाद दानवीर राजा बलि ने माता लक्ष्मी को उपहार देने की बात कही । माता लक्ष्मी ने उपहारस्वरूप अपने पति श्री विष्णु जी को मांग लिया । यह सुनकर राजा बलि लक्ष्मीरूपी बहन को विष्णु रूपी बहनोई वापस कर दिया। वेद और पुराणो के अनुसार इसी दिन से रक्षासूत्र बांंधने की परम्परा का श्री गणेश हो गया .......... भारत देश संस्कृति प्रधान देश है यहांं भाई एवं बहनो का प्रेम पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
फतेहपुर (बाराबंकी) । रक्षा बन्धन के पावन पर्व की धूम नगर क्षेत्र के साथ- साथ ग्रामीण अंचलो में भी देखने को मिली। सूरतगंज, बेलहरा, मो० पुर खाला आदि कस्बो में रक्षाबन्धन पर्व की धूम देखते ही बन रही थी।
लूम हो कि रक्षाबन्धन के पावन अवसर पर नगर के साथ - साथ ग्रामीण अंचलो की बाजारो में रौनक दिखी लोग खरीददारी में मशगूल दिखे। भाई- बहन की प्रेम की अटूट इबारत वाले इस पर्व में जहां बहनो ने अपने भाईयो की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उनकी दीद्र्यायु जीवन की कामना की। तो दूसरी ओर भाईयो ने भी अपनी बहनो के मान व स्वाभिमान के लिए आर्शीवाद रूपी सौगन्ध ली। पौराणिक कहावत है कि भगवान विष्णु ने राजा बलि के मर्दन क रने के लिए विप्र के भेष मेंं उनकी समस्त राज्य को दान स्वरूप में प्राप्त कर लिया था। किन्तुू राजा बलि के शर्तानुसार भगवान विष्णु को नित्य प्रति राजा बलि के महल में रूककर दर्शन देने की शर्त मंजूर करनी पडी। अन्तत: भगवान विष्णु राजा बलि के महल मे रूकने कें लिएं वचनबद्ध हो गए। उधर क्षीरसागर मेँ भगवान विष्णु के न रहने से माता लक्ष्मी व्याकुल हो उठी। देवऋषि नारद जी से ज्ञात हुआ कि भगवान विष्णु राजा बलि कें महल में वचनबद्ध हो निवास कर रहे है। माता लक्ष्मी को नारद जी ने युक्ति बताई कि पूर्णिमा के दिन स्वयं राजा बलि के महल जाकर उन्हे रक्षासूत्र बांधे। माता लक्ष्मी ने वैसे ही किया जैसा नारद ने बताया था। रक्षासूत्र बांधने के बाद दानवीर राजा बलि ने माता लक्ष्मी को उपहार देने की बात कही । माता लक्ष्मी ने उपहारस्वरूप अपने पति श्री विष्णु जी को मांग लिया । यह सुनकर राजा बलि लक्ष्मीरूपी बहन को विष्णु रूपी बहनोई वापस कर दिया। वेद और पुराणो के अनुसार इसी दिन से रक्षासूत्र बांंधने की परम्परा का श्री गणेश हो गया .......... भारत देश संस्कृति प्रधान देश है यहांं भाई एवं बहनो का प्रेम पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।